THE BASIC PRINCIPLES OF SIDH KUNJIKA

The Basic Principles Of sidh kunjika

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

Draw a line through the Sahasrara. Within the junction exactly where the eyes, ears, nose and mouth unite on that axis, that is The situation of intensity in this meditation.

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो get more info जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी ।

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